मुंबई, 8 सितंबर। बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार की कहानी किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है। अमृतसर की गलियों से निकलकर, दिल्ली होते हुए मुंबई पहुंचे, और एक ऐसा सितारा बने, जिसकी पहचान न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में है। उनकी जिंदगी संघर्ष, मेहनत और संयोग से भरी हुई है।
एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब एक सुबह उन्होंने अपनी फ्लाइट मिस कर दी, और उसी दिन उन्हें उनकी पहली बड़ी फिल्म 'दीदार' का ऑफर मिला।
अक्षय का जन्म 9 सितंबर 1967 को पंजाब के अमृतसर में हुआ। उनका असली नाम राजीव हरिओम भाटिया है। उनके पिता भारतीय सेना में थे, जिससे उन्हें अनुशासन का पाठ बचपन से ही मिला। कुछ समय तक उनका परिवार दिल्ली में रहा और फिर मुंबई आ गया। यहां उन्होंने डॉन बॉस्को स्कूल में पढ़ाई की और खालसा कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन उनका ध्यान पढ़ाई से ज्यादा मार्शल आर्ट्स की ओर था। आठवीं कक्षा से ही उन्होंने ताइक्वांडो की ट्रेनिंग शुरू की और बाद में बैंकॉक जाकर मय थाई सीखा। वहीं रहते हुए उन्होंने होटल में शेफ और वेटर की नौकरी भी की।
बैंकॉक लौटने के बाद, अक्षय ने मुंबई में मार्शल आर्ट्स की क्लास में भाग लिया। वहां एक छात्र, जो एक फोटोग्राफर भी था, ने उन्हें मॉडलिंग में हाथ आजमाने की सलाह दी। हालांकि, शुरुआत में उन्हें मॉडलिंग में सफलता नहीं मिली। पोर्टफोलियो बनाने के लिए उन्होंने लगभग 15 महीने तक एक फोटोग्राफर के साथ मुफ्त में काम किया। धीरे-धीरे उन्हें छोटे-मोटे मॉडलिंग प्रोजेक्ट्स मिलने लगे और उन्होंने एक्टिंग में भी किस्मत आजमाने का फैसला किया।
1987 में, अक्षय को महेश भट्ट की फिल्म 'आज' में एक छोटे से रोल का मौका मिला, जिसमें वह मार्शल आर्ट्स इंस्ट्रक्टर बने। यह रोल केवल 17 सेकंड का था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ऑडिशन देते रहे। 1992 की फिल्म 'जो जीता वही सिकंदर' के लिए भी उन्होंने ऑडिशन दिया, लेकिन वह रोल उन्हें नहीं मिला। बाद में, यह फिल्म आमिर खान ने की और सुपरहिट रही।
एक दिन, उन्हें बेंगलुरु में एक फैशन शो के लिए बुलाया गया था। अक्षय को लगा कि उनकी फ्लाइट शाम को है, जबकि वह सुबह की थी। नतीजतन, उन्होंने फ्लाइट मिस कर दी और शो से बाहर हो गए। जब वह घर लौटे, तो उनकी मां ने उन्हें समझाया कि निराश मत हो, कुछ और अच्छा होगा। उसी दिन, अक्षय नटराज स्टूडियो पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात प्रमोद चक्रवर्ती के मेकअप मैन नरेंद्र से हुई। नरेंद्र ने अक्षय से तस्वीर मांगी और प्रमोद चक्रवर्ती को दिखा दी। कुछ समय बाद, अक्षय को फिल्म 'दीदार' के लिए लीड रोल का ऑफर मिला। यह एक संयोग था कि जब उन्हें चेक सौंपा गया, तब घड़ी में ठीक 6 बजे थे, जो सुबह की फ्लाइट का समय था।
1991 में अक्षय की पहली फिल्म 'सौगंध' रिलीज हुई, लेकिन असली पहचान 1992 की फिल्म 'खिलाड़ी' से मिली। इसके बाद 'खिलाड़ी' उनके नाम का हिस्सा बन गया। 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी', 'सबसे बड़ा खिलाड़ी', 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी', 'इंटरनेशनल खिलाड़ी', 'खिलाड़ी 420' और 'खिलाड़ी 786' जैसी फिल्मों ने उन्हें 'बॉलीवुड का खिलाड़ी कुमार' बना दिया।
अक्षय ने एक्शन से शुरुआत की, लेकिन बाद में कॉमेडी में भी अपनी प्रतिभा साबित की। 'हेरा फेरी', 'गरम मसाला', 'फिर हेरा फेरी', 'भागमभाग', और 'भूल भुलैया' जैसी फिल्मों ने उनकी छवि को एक बहुमुखी कलाकार में बदल दिया। 'एयरलिफ्ट', 'रुस्तम', 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा', और 'पैडमैन' जैसी फिल्मों में उन्होंने गंभीर और सामाजिक भूमिकाएं निभाईं, जिससे उनकी पहचान केवल मसाला एक्टर की नहीं, बल्कि समाज से जुड़ी कहानियों को कहने वाले जिम्मेदार कलाकार की भी बन गई।
पुरस्कारों की बात करें तो अक्षय को 2017 में 'रुस्तम' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 2009 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।
आज, अक्षय कुमार भारत के सबसे फिट और प्रोफेशनल अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं। उनकी जीवनशैली बहुत अनुशासित है। वह सुबह जल्दी उठते हैं और शूटिंग के समय का सख्ती से पालन करते हैं।
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